Top 10 Places to Visit in Hisar Haryana |
हेलो दोस्तों नमस्कार, सभी नयी नयी जगहों पर घुमने के शौकीन लोगो का हमारे ब्लॉग पर स्वागत है | आज हम आपको लेकर चलते है हरियाणा के एक और खुबसूरत जिले हिसार में, और जानते है वहां की घुमने की टॉप 10 जगहों के बारे में, उससे पहले चलिए थोडा हिसार जिले के बारे में जान लेते है |
हिसार, एनसीआर में आने वाला हरियाणा का एक जिला है जो की स्टील सिटी (The Steel City) के नाम से भी जाना जाता है | हिसार नगर की स्थापना तुगलक वंश के शासक फिरोजशाह तुगलक ने 1354 में किया था | उस समय फिरोजशाह ने इसका नाम हिसार-ए-फिरोजा रखा था जिसका अरबी भाषा में अर्थ होता है फिरोज का किला | फिर बाद में अकबर काल में इसके नाम से फिरोज हट गया और सिर्फ हिसार के नाम से जाना जाने लगा | यहाँ खुदाई में हड़प्पा सभ्यता के भी शाक्ष्य मिले थे जिससे यह पता लगता है की यह हड़प्पा सभ्यता का मुख्य केंद्र था |
चलिए अब जानते है हिसार जिले में घुमने की टॉप 10 जगहों के बारे में |
हिसार शहर में मौजूद यह पार्क बहुत ही पुराना और खुबसूरत है, पार्क बहुत ही बड़ा है और यहाँ बच्चो के लिए प्लेग्राउंड और खेलने, कूदने के लिए बहुत सी चीजे मौजूद है | बैठने के लिए यहाँ बहुत सारी बेन्चेस है जिसपर दोस्तों और परिवार के साथ बैठ कर कुछ क्वालिटी टाइम बिता सकते है | यह पार्क जॉगिंग, योगा और एक्सरसाइज के लिए एक परफेक्ट जगह है |
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काले पत्थरो से बना गुजरी महल, फिरोजशाह महल के अंदर बना एक खुबसूरत महल है, जिसे फिरोजशाह तुगलक ने 1354 में अपनी रानी गुजरी के लिए बनवाया था | यह महल फिरोजशाह और गुजरी की एक अमर प्रेम की दास्तान बयान करता है | गुजरी एक दूध बेचने वाली थी जिसको बादशाह फिरोजशाह शिकार के करने के दौरान देखा और उनसे प्रेम करने लगे | इस किले के पास में बना 80 फुट लम्बा और 21 फुट चौड़ा दीवान-ए-आम एक आकर्षण का केंद्र है | इसके निचे लगे चालीस खम्बे इसे भव्यता प्रदान करते है | सामने के ऊँचे सिंहासन पर बैठ कर बादशाह दरबार लगाते थे | अगर आप इतिहास में रूचि रखते है तो इस जगह को घूमना मत भूले |
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हिसार बस स्टैंड से 7 किमी की दूरी पर स्थित डियर पार्क की स्थापना का उद्देश्य जानवरों के प्रति आम लोगो की जागरूकता, शिक्षा और उनके संरक्षण पर जोर देने के लिए बनाया गया था | इस पार्क में हिरण की 4 प्रजातीया ब्लैकबक (Black Buck), चीतल (Chital), चित्तीदार हिरण (Spotted Deer) और सांभर है | पार्क में हिरण के अलावा भी कई जानवर देखने को मिल जायेंगे | इस पार्क से महज 1 किमी की दुरी पर शतावर वाटिका हर्बल पार्क है अगर यहाँ आये तो इस पार्क को भी देखना मत भूले | इस पार्क में बहुत सारी औषधीय पौधे लगे हुए है |
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हिसार जिले में मौजूद यह एक मात्र चर्च सन 1864 में बना था और सेंट थॉमस को समर्पित है जो ईसा मसीह के 12 शिष्यों में से एक थे | यह एक ऐतेहासिक ईमारत घोषित है | क्रिसमश के मौके पर इस चर्च को बहुत ही खुबसूरत तरीके से सजाया जाता है जो बहुत ही आकर्षक दिखता है | ईसाई धर्म में आस्था रखने वाले या धार्मिक स्थानों पर जाने के शौकीन लोगो को इस स्थान पर जरुर जाना चाहिए |
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रखीगढ़ी एक प्राचीन स्थल है जहाँ 5000 साल पुराना मानव सभ्यता के विकास से जुड़ा इतिहास यहाँ के मिटटी में दफन है | कहा जाता है कि सिंधु-सरस्वती सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल यही खोजा गया था | यह स्थल मोहनजोदड़ो और अन्य हड़प्पा स्थलों से बड़ा है | ऐसा माना जाता है कि यह सरस्वती नदी के सूखे तल पर स्थित है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह 2000 ईसा पूर्व तक सूख गयी थी | यही 8 किमी की दुरी पर एक और स्थल लोहारी राघव भी है जो सिंधु-घाटी सभ्यता का पुरातात्विक स्थल है | यहाँ आपको मानव के आरंभिक सभ्यता के कई सारी चीजे देखने को मिल जाएँगी |
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14वीं शताब्दी के अंत में फिरोजशाह तुगलक द्वारा बनवाया गया फिरोजशाह महल इस्लामी और भारतीय वास्तुकला शैली का एक बेहतरीन उदहारण है | हिसार की शुरुवाती बसावट किले के चार दरवाजो के अंदर ही थी | ये चार दरवाजे, मोरी गेट, दिल्ली गेट, तलाकी गेट और नौकरी गेट है | यह महल लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित एक अद्भुत और खुबसूरत महल है जिसे पुराने हिन्दू मंदिरों के खंडहरों से लिया गया था | इसके अलावा किले के परिसर के बीच में लगभग 20 मीटर ऊँची लाट की मस्जिद नामक एक मस्जिद भी स्थित है | तो जब भी हिसार आये इस एतेहासिक स्थल को देखना मत भूले |
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दरगाह चार कुतुब एक मकबरा परिसर है जिसमे चार महत्वपूर्ण सूफी संतो का कब्र है | यह दरगाह जमाल-उद-दीन हांसी, नूर-उद-दीन, बुरहान-उद-दीन और कुतुब-उद-दीन मनुवर को समर्पित है | इन चार प्रसिद्ध सूफी संतो को कुतुब कहा जाता था | सबसे शानदार इसके चारो ओर बनी मस्जिद है जिसे फिरोजशाह तुगलक ने बनवाया था | माना जाता है कि इस स्थल का निर्माण इसलिए किया गया था क्योकि बाबा फरीद के नाम से जाने वाले एक सूफी संत यहाँ ध्यान और प्रार्थना करते थे | तो अगर आप हिसार में हो तो इस स्थल का दौरा जरुर करे |
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30 मीटर ऊँचा बना बरसी गेट इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है | इस गेट पर शिलालेख भी है जो 1303 ईसवी के पृथ्वीराज चौहान युग की सरंचना के बारे में बहुत सारी जानकारी देते है | यह गेट पास के गाँव हांसी के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य कर रहा है | यह गेट शुरू में हांसी किले की सुरक्षा के लिए बनाया गया था | सुल्तान अल्लाउदीन खिलजी द्वारा निर्मित इस गेट का मरम्मत इब्राहीम लोधी के शासनकाल में किया गया था | यह द्वार सल्तनत शैली की वास्तुकला का एक बेहतरीन उदहारण है |
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अग्रोहाधाम, हिसार शहर से लगभग 24 किमी की दूरी पर स्थित, हिसार के सबसे अच्छे पर्यटन स्थलों में से एक है। यह खूबसूरत परिसर अग्रोहा विकास ट्रस्ट द्वारा निर्मित और नियंत्रित है। मुख्य मंदिर का निर्माण वर्ष 1976 में शुरू हुआ और वर्ष 1984 में पूरा हुआ लेकिन अभी भी 40 वर्षों से अधिक समय से यह निर्माणाधीन है।
अग्रोहा धाम परिसर में मुख्य गर्भगृह क्षेत्र के रूप में देवी महालक्ष्मी, देवी सरस्वती और महाराजा अग्रसेन जी मंदिर हैं। द्वार पर दो हाथी की मूर्तियाँ, 90 फीट की हनुमान जी की मूर्ति, रामायण गैलरी, कृष्णा गैलरी, वैष्णो देवी गुफा, डायनासोर का कोना, उत्कीर्ण दीवारें इस जगह को और अधिक सुंदर बनाती हैं। यह जगह सिर्फ हिसार के लोगों के बीच ही मशहूर नहीं है बल्कि यह दिल्ली, मुंबई और कोलकाता सभी जगहों से पर्यटकों को आकर्षित करती है।
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क्षेत्र के सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक असीरगढ़ का किला जिसे हांसी किला के नाम से भी जाना जाता है, इसे पृथ्वीराज का किला भी कहा जाता है | ऐसा माना जाता है की इस किले का निर्माण सबसे पहले हर्षवर्धन ने करवाया था और वर्तमान का किला पुराने किले की अवशेषो से बनाया गया है | किले का पुनर्निर्माण 12वीं शताब्दी में पृथ्वीराज चौहान द्वारा किया गया था और बाद में अंग्रेजों ने इस पर कब्जा कर लिया था। 18वीं शताब्दी के अंत में ब्रिटिश अधिकारी जॉर्ज थॉमस द्वारा किले का नवीनीकरण किया गया। यह किला लंबे खंभों पर खड़ी एक सपाट छत वाली संरचना है और इसके अंदर एक मस्जिद भी है जिसे पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद बनाया गया था। जब किले का पुनर्निर्माण किया जा रहा था तब जॉर्ज थॉमस ने किले में प्रवेश के लिए एक विशाल द्वार भी बनवाया।
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