हैलो मित्रों!
आइए,
बात करते हैं
पेगासस
स्कैंडल के बारे में।
यह कथित घोटाला बहुत ही खतरनाक और अपमानजनक है,
विश्व में कहीं भी इस स्तर का घोटाला पहले कभी नहीं देखा गया | अधिकांश लोग दुनिया पर इसके
प्रभाव को नहीं समझ सकते हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने अपना फ़ोन बदल
दिया जब उन्हें पता चला की उनका नाम पेगासस वायरस के प्रभाव वाली लिस्ट में
है |
विभिन्न जांच एजेंसियों द्वारा दुनिया भर के कई देशों में जांच शुरू हो गई
है। लेकिन भारत में हमारा
भारतीय मीडिया चाटुकारिता में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहा है और इसे 'अंतर्राष्ट्रीय प्लॉट' के रूप में में दिखने के लिए की ये एक भारत को बदनाम करने की शाजिश है और
भारत की जनता को विश्वास दिलाने में लगे है की ये मुद्दा महत्वहीन है | और
फिर इसको ठंडे बस्ते में डाल देंगे |
आइए जानते हैं असल में हुआ क्या था।
पहले समझते है की ....
यह शब्द ग्रीक पौराणिक कथाओं से है, जिसका मतलब है पंखों वाला एक पौराणिक सफेद घोड़ा |
पहले आपको एसएमएस या व्हाट्सएप पर एक लिंक मिलता था। एक बार जब आप लिंक पर क्लिक कर
देते थे तो उससे ही वो वायरस आपके फ़ोन में पहुच जाता था | लेकिन आज, उन्होंने अपनी तकनीक में इतना सुधार कर लिया है कि आपको लिंक पर क्लिक करने
की भी आवश्यकता नहीं है। वे आपको एक WhatsApp संदेश भेजेंगे या आपके नंबर पर मिस्ड कॉल करेंगे, आप फ़ोन चाहे उठाओ या नहीं
उठाओ वायरस आपके फ़ोन में पहुच जायेगा | और इसलिए यह इतना खतरनाक और चौंकाने
वाला है। आपकी जासूसी करने के लिए सिर्फ उन्हें बस आपका फोन नंबर जानने की
जरूरत है। यह Android और iOS दोनों डिवाइस पर अटैक कर सकता है। और अगर ये एक बार आपके फ़ोन में पहुच गया
तो ये कुछ भी कर सकता है | जैसे की आपके WhatsApp चैट और SMSs पढना, आपके फ़ोन
कॉल को रिकॉर्ड करना, जिन जिन नंबर पे बात कर रहे हो उनको मॉनिटर करना, आपके
फोटो को एक्सेस करना, GPS से आपके लोकेशन को ट्रैक करना, आपको बिना पता चले
आपका कैमरा और माइक्रोफोन चालू करके चुपके से रिकॉर्ड कर सकता है, आपके सारे
कांटेक्ट की जानकारी और पासवर्ड को निकल सकता है | ये आपके फ़ोन में कुछ भी
एक्सेस कर सकता है |
पेगासस स्पाइवेयर
एक इजरायली कंपनी द्वारा विकसित किया गया है।
ये एक ग्रुप है जिसका नाम NSO ग्रुप है | इसका फुल फॉर्म इसके तीनो फाउंडर
के नाम से बना है |
पेगासस वायरस बनाया क्यों गया इसकी क्या जरुरत थी ? (Why was such a spyware created? What was the need for it?)
NSO कहता है की उसने पेगासस वायरस को सरकारो के लिए बनाया है जिससे उनकी
सरकारी खुफिया
और कानून प्रवर्तन एजेंसियां इसका उपयोग कर सके अपराध और आतंकबाद को रोकने
के लिए |
उदाहरण के लिए, मैक्सिकन सरकार ने कहा है कि उन्होंने
पेगासस स्पाइवेयर
का इस्तेमाल मैक्सिकन ड्रग माफिया “El Chappo“ को पकड़ने में किया |
हमें इस स्पाइवेयर की प्रशंसा करनी चाहिए क्योकि कि यह एक शानदार स्पाइवेयर
है। इसका उपयोग दुनिया के सभी आतंकवादियों और अपराधियों को पकड़ने के लिए किया
जा सकता है। और पूरी दुनिया इस स्पाइवेयर की वजह से एक बेहतर जगह बनेगी। यह
स्पाइवेयर स्वर्ग से आए सफेद घोड़े की तरह प्रतीत होता है जो अपराध और
आतंकवाद से दुनिया को मुक्त करने के लिए आया है ।
लेकिन अब कहानी में ट्विस्ट आता है। जब कथित तौर पर, यह हालिया लीक रिपोर्ट में एक मैक्सिकन पत्रकार का नाम भी शामिल होता है ।
मैक्सिकन सरकार पर आरोप है की उन्होंने कथित तौर पर एक मेक्सिकन पत्रकार पर
जासूसी इस स्पाइवेयर का उपयोग करते हुए किया। उस मैक्सिकन पत्रकार ने
मेक्सिको में कई भ्रष्टाचार के घोटालों का पर्दाफाश किया था। बाद में इस
मैक्सिकन पत्रकार की हत्या कर दी गई।
इसके अलावा एक और मामला,
जहां थी सऊदी अरब सरकार द्वारा
वाशिंगटन पोस्ट
के पत्रकार जमाल की हत्या कर दी गई |
कथित तौर पर इसमें में भी अब खुलासा हो गया है कि हत्या के कुछ दिन पहले
वास्तव में
पेगासस स्पाइवेयर
पत्रकार की पत्नी के फोन इंस्टाल किया गया था |
इसके अतिरिक्त, NSO का नाम तब भी तब भी आया था जब, सऊदी अरब के राजकुमार ने जा अमेज़न के प्रमुख जेफ बेजोस का फोन हैक कर लिया था। यह भी नाम लीक रिपोर्ट्स में है।
अब मौजूदा लीक रिपोर्ट (एक्सपोज़) की बात करें,
इसका खुलासा फ्रांस के एक एनजीओ ने किया है। जिसका नाम Forbidden Stories है | उन्हें Amnesty International team से सहायता प्राप्त थी | उन्होंने एक 'लीक लिस्ट' का खुलासा किया है जिसमें 50,000 से ज्यादा फोन नंबर है । और उनका दावा है
कि ये फोन नंबर उन लोगों के हैं जिनके फोन में पहले से ही Pegasus . को इंस्टाल करके उन पर जासूसी कर चुके हैं या भविष्य में जासूसी किए जाने के
संभावित लक्ष्य हैं। इसमें 10 अलग-अलग देशों के 80 से अधिक पत्रकार, 17
विशिष्ट मीडिया संगठन है।
इन 50000 फोन नंबर में 1000 फोरेंसिक जाँच के लिए भेजे जा चुके है जबकि कुछ लोगो ने
फ़ोन जाँच करवाने से मन कर दिया है |
भाई इससे बचने का कोई उपाय नहीं है सिवाय एक की आप अपना फ़ोन नंबर किसी को भी
शेयर न करो जो इम्पॉसिबल है |
भाई अब करते है मुद्दे की बात क्युकी इस लीक रिपोर्ट में भारत का नाम भी है
...
क्या इस लीक रिपोर्ट में Dawood Ibrahim, Hafiz Saeed, Nirav Modi, Vijay Mallya.
का नाम है ? तो जबाब है नहीं ! ये सब मोस्ट वांटेड अपराधी है हमें सरकार से
उम्मीद होनी चाहिए थी की इन सबके उपर पेगासस वायरस का प्रयोग करे लेकिन ऐसा
हुआ नहीं, अगर होता तो शायद इनका नाम इस लिस्ट में आता |
अब बात करते है लिस्ट में भारत के किन लोगो का नाम है ! इस लिस्ट में 300 भारतीयों के नाम थे। जिन पर 2017 और 2019 के बीच कथित तौर पर जासूसी की गई थी
इसमें ज्यादातर पत्रकार शिक्षाविद, वकील,
राजनेता और सरकारी अधिकारी यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के जज भी है ।
अब थोडा डिटेल में समझाते है |
इस लीक लिस्ट में राहुल गांधी और उनके दो करीबी सलाहकार प्रमुख नामों में
शामिल हैं। जो इस दौरान 2019
के आम चुनाव की रणनीति पर चर्चा कर रहे थे। राहुल गांधी ने खुले तौर पर दावा
किया है कि उनका फोन टैप किया गया था और यह सॉफ्टवेयर उनके फोन में था।
दूसरा बड़ा नाम चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का है. जिन्होंने 2018 में कहा था कि वह 2019
के चुनाव के लिए बीजेपी के साथ काम नहीं करेंगे | प्रशांत किशोर ने कहा है कि
उन्हें पांच बार अपना फोन बदलना पड़ा क्योंकि उन्हें ऐसा लग रहा था की उनका
फोन हैक हो चूका है |
तीसरा बड़ा नाम अभिषेक बनर्जी का है। वह पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता
बनर्जी भतीजे हैं | अगला बड़ा नाम राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा
राजे की निजी सचिव का है | इसके बाद विहिप के पूर्व प्रमुख प्रवीण तोगड़िया
का है उन्होंने 2018
में विहिप छोड़ दिया था और खुले तौर पर और सार्वजनिक रूप से मोदी सरकार के
खिलाफ कई आरोप लगाए। इसके अतिरिक्त, इसमें हमारे कुछ केंद्रीय मंत्रियों के नाम भी शामिल हैं जैसे हमारे नए आईटी
मंत्री अश्विनी वैष्णव। जनेताओं से हटकर नौकरशाहों की बात करते है। आपको कुछ
साल पहले सीबीआई बनाम सीबीआई ड्रामा याद होगा। इस लिस्ट में हमारे पूर्व
सीबीआई चीफ आलोक वर्मा का भी नाम है. साथ ही सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारी का
राकेश अस्थाना नाम है | साथ ही हमारे पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा का नाम
भी है जिन्होंने 2019
के चुनाव प्रचार के दौरान कहा था की कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने आदर्श
आचार संहिता का उल्लंघन किया था | पत्रकरो में रोहणी सिंह का नाम है
जिन्होंने जय शाह के उपर कहानी दिखाई थी की कैसे जय शाह कंपनी का मुनाफा 1
साल के भीतर 16,000 गुना बढ़ गया था। इसके अतिरिक्त, स्वाति चतुर्वेदी, जिन्होंने भाजपा आईटी सेल पर पुस्तक लिखी है। इंडियन एक्सप्रेस के पूर्व
संपादक सुशांत सिंह और इंडिया टुडे के पत्रकार संदीप जो राफेल विवाद को
विस्तार से कवर कर रहे थे के नाम है।
एक और दिलचस्प नाम है द हिंदू की पत्रकार विजया सिंह का जिन्होंने 2017 में
एक दिलचस्प खबर की रिपोर्ट की थी । इस रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय
सुरक्षा परिषद सचिवालय का एक वर्ष के भीतर बजट में दस गुना वृद्धि हुई थी।
पहले सरकार इसे 33 करोड़ रुपये आवंटित करती थी और अब इसे ₹333 करोड़ आवंटित
किया जा रहा है। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने लगाया था आरोप कि बजट में ₹300
करोड़ की वृद्धि इस Pegasus सॉफ़्टवेयर को खरीदने के लिए सरकार द्वारा उपयोग किया गया था। अगले
साल, बजट ₹800 करोड़ तक पहुंच गया था। सरकार ने अभी तक इस महत्वपूर्ण आरोप का
जवाब नहीं दिया है।
पेगासस स्पाइवेयर खरीदने की लागत सरकारों के लिए भी बहुत अधिक है। स्पष्ट
रूप से सॉफ्टवेयर को 10 फ़ोन में इंस्टाल करने में लगभग ₹4 से ₹5 करोड़ का
खर्च आता है
जरा सोचिए दोस्तों।
एक स्पाइवेयर जो जाहिर तौर पर अपराधियों और आतंकवादियों की जासूसी करने के
लिए बनाया गया था | अब विपक्षी राजनेताओं, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं की जासूसी करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है | सुप्रीम
कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और यहां तक कि चुनाव आयुक्त।
इस सूची में एक और नाम जिसके बारे में मैं आपको विस्तार से बताना चाहता हूँ जो सुप्रीम कोर्ट के एक स्टाफ सदस्य है। वही स्टाफ सदस्य जिसने भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था |
अप्रैल 2019 में जिस महिला ने CJI गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था,
उसका फोन हैक कर लिया था। फिर नवंबर 2019 में राफेल सौदे के लिए CJI गोगोई द्वारा सरकार को क्लीन चिट मिल गई।
रंजन गोगोई को गिरफ्तार कर पूछताछ की जानी चाहिए. उनसे पूछा जाना चाहिए कि
क्या उनके साथ कोई ब्लैकमेल
हुआ था | मामला तोडा सॉर्ट में समझो
अप्रैल 2019 में CJI रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए गए। फिर जिस महिला ने उस पर आरोप लगाया था, उसने उसका फोन टैप कर दिया और नवंबर 2019 में सीजेआई गोगोई, राफेल मामले में सरकार को क्लीन चिट दे दी है।
क्या लोकतांत्रिक देश में ऐसा करना उचित है? बिलकुल नहीं! तानाशाही में ऐसी चीजें होती हैं।
तो आइये समझाते है की इस बड़े खुलासे के बाद क्या देश में क्या प्रतिक्रिया
मिली?
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने कर्नाटक में
कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए कर्नाटक में कुछ विधायकों की जासूसी
करने के लिए पेगासस का इस्तेमाल किया था।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया का कहना है कि देश के इतिहास में पहली बार लोकतंत्र के
सभी स्तंभों (न्यायपालिका, सांसद, मीडिया, कार्यपालक, मंत्री) पर जासूसी का प्रयास किया गया।
दैनिक भास्कर अखबार ने पहले पन्ने पर इस पेगासस परियोजना पर एक विस्तृत
रिपोर्ट छापी | और कुछ दिनों बाद इस अखबार पर इनकम टैक्स का छापा पड़ता है.
क्या यह महज एक संयोग है?
नहीं सबको पता है की दैनिक भास्कर की रिपोर्टिंग ने आजकल सरकार की नाक में दम
कर रखा है |
ज्यादातर विपक्ष और स्वतंत्र मीडिया यही बात कह रहा है.
कि इसकी जांच होनी चाहिए। और उस जांच का नेतृत्व सरकार के बजाय सर्वोच्च
न्यायालय द्वारा किया जाना चाहिए। अल्जीरिया में पेगासस कांड की जांच पहले ही
शुरू कर दी गई है। इसकी जांच जांच फ्रांस में भी शुरू की गई है। इसकी शुरुआत
हंगरी में भी हो चुकी है। यहां तक कि इज़राइल ने पेगासस स्पाइवेयर की जांच के
लिए एक आयोग शुरू किया है।
भारत सरकार ने अभी तक कोई जांच शुरू नहीं की है। भारत सरकार यह दावा करने में लगी है कि यह हमें बदनाम करने की अंतरराष्ट्रीय साजिश है। सोशल मीडिया पर मोदी समर्थकों का दावा है कि सभी विदेशी संगठन एक साथ मिलकर भारत की प्रगति को रोकने के लिए ये सब कर रहे है । क्योंकि ये रिपोर्ट ऐसे टाइम पे जारी की गयी है जब संसद सत्र शुरू होने वाला था। ऐसा इसलिए किया गया ताकि मोदी सरकार ठीक से काम न कर सके |
लेकिन इसके बारे में
तार्किक रूप से सोचें। इस एक्सपोज़ में कई देश शामिल हैं। कई देशों ने पहले ही
जांच शुरू कर दी है। फिर भी, उनका मानना है कि यह एक अंतरराष्ट्रीय साजिश
है मोदी के खिलाफ |
मानो फ्रांस के
राष्ट्रपति मैक्रों मूर्ख हैं कि उसने सिर्फ मोदी के खिलाफ साजिश की वजह से अपना
स्मार्टफोन बदल लिया। जवाब में हमारे आईटी मंत्री ने कहा है कि इस सूची में किसी का नाम या फोन नंबर है, इसका मतलब यह नहीं है
व्यक्ति की निश्चित रूप
से जासूसी की गई है।
यह तकनीकी रूप से सच है.
लेकिन यह इन आरोपों का जवाब नहीं है। क्योंकि यह बात एमनेस्टी ने भी कही थी। उन्होंने कहा है कि सूची में कुछ की जासूसी की गई है और कुछ की जासूसी करने का प्रयास किया गया। और कुछ ऐसे संभावित लक्ष्य हैं जिनकी भविष्य में जासूसी हो सकती है। यह दावा नहीं किया जा रहा है कि सभी 50,000 नंबरों पर निश्चित रूप से जासूसी की जा रही है। यही वह बिंदु है जिसे हमारा लचीला मीडिया टेलीविजन पर घुमाने और पेश करने की कोशिश कर रहा है यह दावा करते हुए कि एमनेस्टी ने यू-टर्न ले लिया है। यह साबित करने में लगे है कि घोटाला उतना महत्वपूर्ण या गंभीर नहीं है जितना दिखाया जा रहा है।
कुल मिलाकर, निष्कर्ष बहुत सरल है। अगर मोदी सरकार को लगता
है कि उन्होंने अनैतिक तरीके से किसी की जासूसी नहीं की है, फिर वे जांच क्यों नहीं शुरू कर रहे हैं? क्या पेगासस घोटाले की जांच करने के लिए अन्य देश मूर्ख
हैं? क्या भारत सरकार यानी मोदी सरकार को लगता है
कि वो इतने खास हैं कि भले ही अन्य देश जांच कर रहे है और चाहते है कि हम भारतीय
आँख बंद करके बिना किसी जांच के उन पर विश्वास करें |
दूसरे, यह भाजपा बनाम विपक्ष का मुद्दा नहीं है। अगर आप बीजेपी समर्थक हैं जो इस मामले में मोदी सरकार पर आंख मूंदकर भरोसा कर रहे हैं तब तुम अपने आप को धोखा दे रहे हो। यह एक देश के रूप में हमें चिंतित करता है। और अगर आप
Comment करके बताये कैसी
लगी ये जानकारी
धन्यवाद दोस्तों
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